इस्राएल और गाजा

परिचय

अक्टुबर ७, २०२३ के दिन हमासके आतंक्वादी समूह ने इस्राएलयों पर एक बहुत ही बर्बरता पूर्ण हिंसात्मक आक्रमण किया, जिसमें १००० से अधिक आम जन्ता की ह्त्या हुई थी और २०० से अधिक लोगोंको बन्धक बनाकर लेगये थे, जिनमें औरतें और बच्चे भी शामील थे। उस समूहने बहुत सी महिलाओंको शारीरिक कष्ट दिया था, बलात्कार किया था, और जिन्दा जला दिया था और इस बात की कसम ली थी कि अक्टूबर ७ की घटनाको फिर दुहरायेंगे जब हम इसके लिये शक्ति संचय कर लेंगे।

इस आक्रमणके प्रतिकृया स्वरुप इस्राएले भी भयंकर जबाबी कारर्वाही की और इसके फलस्वरुप विश्वव्यापी रुपमें उसके उपर नरसंहार का दोषारोपण लग रहा है, और पालेस्टाइन के समर्थनमें तथा इस्राएल और यहूदियोंको विरोधमें विश्वव्यापी रुपमें प्रदर्शन हो रहे हैं।

इस लेखमें मैं इस परीस्थीति से सम्बन्धित बाइबलीय, ऐतिहासिक और अन्य पक्षों पर चर्चा करना चाहता हूं।

बाइबलीय स्थिति

बाइबल बताती है कि यहूदी जाति के लोग परमेश्वर के द्वारा चुने हुए लोग हैं। परमेश्वर ने मूसा से ऐसा कहा था, ‘क्योंकि तू अपने परमेश्वर यहोवा की पवित्र प्रजा है; यहोवा ने पृथ्वी भर के सब देशों के लोगों में से तुझ को चुन लिया है कि तू उसकी प्रजा और निज धन ठहरे।’ (व्यवस्था ७: ६)।

बाइबल यह भी बताती है , अन्य सन्दर्भ में, कि यीशु के अनुयायी परमेश्वर के द्वारा चुने गये लोग हैं, ‘पर तुम एक चुना हुआ वंश, और राज-पदधारी याजकों का समाज, और पवित्र लोग, और (परमेश्वर की ) निज प्रजा हो,’ (१पत्रुस २:९)।

इस्राएल की भूमि के मालिकाना हक के विषय में भी बाइबल अत्यन्त स्पष्ट है।

उत्पत्ति १७:८ में परमेश्वर ने स्पष्ट शब्दों में इब्राहीम से कहा, ‘और मैं तुझ को, और तेरे पश्चात तेरे वंश को भी, यह सारा कनान देश, जिस में तू परदेशी हो कर रहता है, इस रीति दूंगा कि वह युग युग उनकी निज भूमि रहेगी, और मैं उनका परमेश्वर रहूंगा’।

उत्पत्ति २६:३ में, पर्मेश्वर ने इब्राहिम के पुत्र इसहाक के साथ इस प्रतिज्ञा का नवीकरण किया, ‘तू इसी देश में रह, और मैं तेरे संग रहूंगा, और तुझे आशीष दूंगा; और ये सब देश मैं तुझ को, और तेरे वंश को दूंगा; और जो शपथ मैं ने तेरे पिता इब्राहीम से खाई थी, उसे मैं पूरी करूंगा’।

उत्पत्ति २८:१३ में परमेश्वरने इसहाक के पुत्र याकुबके साथ इसी प्रकार की प्रतिज्ञा की, ‘और यहोवा उसके ऊपर खड़ा हो कर कहता है, कि मैं यहोवा, तेरे दादा इब्राहीम का परमेश्वर, और इसहाक का भी परमेश्वर हूं: जिस भूमि पर तू पड़ा है, उसे मैं तुझ को और तेरे वंश को दूंगा’।

मूसाने इस्राएलियोंको मिश्र देश से लेकर कनान देशकी सीमा तक अगुवाई की। उसकी मृत्यु से पहले मूसाने अगमवाणी की थी कि इज्राइली लोग प्रमेश्वरके विरुद्ध पाप करेंगे और उस देश से निष्कासित कर दिये जायेंगे लेकिन फिर वे अपने देश में लौटेंगे और सदा सर्वदाके लिये वास करेंगे।

‘तब तेरा परमेश्वर यहोवा तुझ को बन्धुआई से लौटा ले आएगा, और तुझ पर दया कर के उन सब देशों के लोगों में से जिनके मध्य में वह तुझ को तित्तर बित्तर कर देगा फिर इकट्ठा करेगा। चाहे धरती के छोर तक तेरा बरबस पहुंचाया जाना हो, तौभी तेरा परमेश्वर यहोवा तुझ को वहां से ले आकर इकट्ठा करेगा। और तेरा परमेश्वर यहोवा तुझे उसी देश में पहुंचाएगा जिसके तेरे पुरखा अधिकारी हुए थे, और तू फिर उसका अधिकारी होगा; और वह तेरी भलाई करेगा, और तुझ को तेरे पुरखाओं से भी गिनती में अधिक बढ़ाएगा’। (व्यवस्था ३०: ३-५)।

यहोशु ने इस्राएलियोंको प्रतिज्ञाके देशमें प्रवेश करने में अगुवाई की जिसे उन्होंने विजय प्राप्त किया और उसमें रहने लगे।

इस कनान देश की सीमा कहां से कहां तक थी? वर्तमान में गाजा कहे जाने वाला क्षेत्र क्या इसमें समाविष्ट था? और क्या अभी पश्चिमी तट कहे जाने वाला क्षेत्र भी इसमें आता है? इसका स्पष्ट उत्तर है- हां। कनान देश की सीमायें यर्दन नदी से लेकर भुमध्य सागर तक (जैसा कि बहुत से लोग गाते हैं) – और गाजा से और दक्षीण तक जाता है। (अधिक जनकारी के लिये Borders of the Land of Canaan देखें)।

बाइबल पर विश्वास रखने वालों के लिये स्थिति स्पष्ट है: परमेश्वर ने इस्राएल की भूमि यहूदी जातिको निजी सम्पत्ति के रुपमें सदाके लिये दे दिया है।

यहूदियों का इतिहास

यहोशु के समय इस्राएली और उनके बाद यहूदी जातिके लोग इस्राएल की भूमिके बासिन्दा थे। रोमी सरकार के प्रधान सेनापति पौम्पी ने ईसा पूर्व ६३ में इस्राएल पर विजय प्राप्त किया और यीशुके समय में इस भूमी पर रोमियों का शासन था। यहूदियों ने रोमियों के विरुद्ध ई सन ६६ से लेकर १३५ तक तीन बार बगावत की और अन्तमें उनकी ही पराजय हुई।

अन्तिम युद्ध १३२ ई से १५३ ई तक चला था और ‘बार कोचबा’ के बगावत के नाम से जाना जाता है। इस युद्ध में करीब पांच लाख यहूदी मारे गये थे। एक लाख या इससे भी अधिक यहूदियों को गुलामी में भेज दिया गया था। बहुत से यहूदी मिश्र और अन्य देशों में निर्वासित कर् दिये गये थे। इसके बावजूद भी यहूदियों की उपस्थीति छोटी संख्या में इस भूमि पर बनी रही, विशेष कर गालील क्षेत्र में। किसी भी यहूदी का यरुशलेम में बसोबास प्रतिबन्धीत था।

१५१७ ई से १९१८ ई तक अभी जो क्षेत्र इस्राएल, गाजा, पश्चिमी तट, जोर्डन और सिरिया में समावेश हैं, यह भाग टर्किश साम्राज्य का एक भाग था। इस क्षेत्र के बासिन्दा यहूदी, ईसाई और अरब, सभी स्म्मिलीत थे। इस युद्ध में टर्की जर्मनी की ओर से लडा और पराजीत हो गया। उसके बाद टर्किश साम्राज्य का विभाजन हो गया।

इस क्षेत्रको उसके बाद पालेस्टाइन, जोर्डन, सीरिया और अन्य आधुनिक देशों के रुप में विभाजीत कर दिया गया जिनका अस्तित्व भी इसके पहले नहीं था। पालेस्टाइन और जोर्डन को अस्थायी रुपसे ब्रीटेन के अधीन और सीरियाको अस्थायी रुपसे फ्रांस के अधीन रखा गया था।

१९४८ ई एक महत्वपूर्ण वर्ष था। ब्रीटेन ने पालेस्टाइन को यहूदियों को सौंप दिया, जिन्होंने उसे स्वतन्त्र देश घोषित कर दिया और उन्होंने अपने देश का नया नाम इस्राएल रख दिया। बहुत से पडोसी अरब देशों ने इस्राएल पर आक्रमण कर दिया ताकि विश्व मानचित्र से इसका नाम मिटा दिया जाय लेकिन आश्चर्य जनक रुप से इस्राएल का अस्तित्व बना रहा।

रोमी शासन के समय से ही यहूदी जातिके लोग पृथ्वीके विभीन्न भागों में विस्थापित हो गये थे फिर भी यह आश्चर्य की बात है कि अन्य जातियों के विपरीत इन्हों ने यहूदी जाति के रुपमें अपनी पहचान सुरक्षित रखा है। शताब्दियों से लेकर आज तक उन्होंने इस्राएल को अपनी मातृभूमी के रुपमें देखा है। हरेक वर्ष निस्तार पर्व के अवसर पर उन्होंने इसे गाया है, ‘आने वाले वर्ष में यरूशलेम में मिलेंगे”। इस्राएल का राष्ट्रीय गान “हा टिक्वा” जिस्का अर्थ है ‘वह आशा’ इसका अर्थ भी यही है। ‘हमारी दो हजार वर्ष पुरानी आशा कि हमारी भूमी पर हमारा स्वतन्त्र देश हो, सियोन का देश और यरुशलेम’।

करीब १८ शताब्दियों के निरवासित जीवन के बाद यहूदी लोग अपने पुर्खों के देशमें लौट पाये हैं।

पालेस्टाइन्

हिब्रू शब्द ‘पेलिस्टीम’ से पालेस्टाइन नाम बना है जिसका अर्थ होता है फिलिस्टीन। अन्तमें रोमी लोगों ने १३६ ई में इस्राएलयों को पराजीत करने के बाद उसका नाम परीवर्तन कर पालेस्टाइन रख दिया जिससे इस्राएलयों और यहूदियों की स्मृति भी नष्ट हो जाय।

आज इस्राएल, गाजा और पश्चिमी तट पर रहनेवाले अरब लोग अपने आपको पलेस्टाइनी बुलाते हैं, ताकि लोग उन्हें उस क्षेत्र का वास्तविक बासिन्दा समझ सकें। उनका तो ऐसा भी कहना है कि वे उस क्षेत्रके वास्तविक बासिन्दा कनानियों के संतान हैं, जो यहोशु के इस देश पर विजय प्राप्त करते समय यहां बसोबास करते थे। अपने लिये पालेस्टीनी शब्द का उपयोग तो उन्होंने १९६७ई के ६ दिवसीय युद्ध के बाद करना आरम्भ किया है। (How the Palestinians got their name देखें)।

अरब लोग उस क्षेत्र में बसोबास करने वाले यहूदियों को यूरोप से आने वाले उन आक्रमण्कारियों के रुपमें चित्रीत करते हैं जिन्होंने आकर उनके देशों को उपनिवेश बना लिया था।

हमास

हमास शब्द एक संक्षिप्त अरबी स्वरुप है जिसका अर्थ ‘होता है इस्लामिक प्रतिरोधात्मक आन्दोलन’। अरबी भाषा में हमास शब्द का अर्थ होता है ‘जोश’। हिब्रू भाषा में हमास का अर्थ होता है ‘हिंसा’।

हमास का लक्ष्य है ‘यर्दन नदी से भुमध्य सागर तक’ पालेस्टाइन देश स्थापित हो। दूसरे शब्दों में इस्राएल देश का पूर्ण विनाश हो। नर संहार । अभी इसी बातको लेकर इस्राएलयों पर दोषारोपण किया जाता है। जितनी जल्दी सम्भव हो, अक्तूबर ७ के आक्रमण को फिरसे दुहराने की कसम उन्होंने ली है।

हमास को एक आतंक वादी संगठन के रुपमें संयुक्त राज्य अमेरिका, संयुक्त अधिराज्य, इस्राएल और अन्य कई देशों ने चिन्हीत किया है। इरान और कई अन्य इस्लामिक देश हमास को सहयोग करते हैं। इरान से इसे मुख्यतया हथियार उपलब्ध कराये जाते हैं।

२००७ में अपने विरोधी इस्लामिक समूह फतह को पराजीत करने के बाद गाजा पट्टी पर हमास का अधिकार हो गया।

गाजा को यू एस ए, यू के और अन्य बहुतसे मुस्लीम धनी देशों से अरबों डौलर अन्तर्राष्ट्रीय सहयोग के रुपमें प्राप्त हुआ है। इस सहयोग का अधिकांश भाग उन्होंने गाजा में ३०० मील भूमिगत सुर्ंग निरमाण करने में और अपने सदस्यों के आवास निर्माण करने में खर्च किये हैं। इनके कुछ नेता अन्य देशों में विलासिता पूर्ण जीवन व्यतीत करते हैं। गाजा के अन्य लोग गरीबी में जीते हैं।

२०२३ का द्वन्द्व

२०२३ अक्तूबर ७ के दिन हमास ने इस्राएलयों पर अचानक आक्रमण कर दिया।

उन्होंने १००० से अधिक लोगों की हत्या कर दी, २०० से अधिक लोगों को बन्धक बनाकर ले गये, जिसमें औरतें और बच्चे शामील थे। उन्होंने कई स्त्रियों का बलात्कार किया, शारीरिक कष्ट दिया और बहुतों को जला डाला।

इस्राएलयों की प्रतिकृया क्या थी? जैसा कि स्वाभाविक था, इस्राएल ने हमास के विरुद्ध पूर्ण आक्रमण कर दिया, इस लक्ष्य के साथ कि हमास का नाश कर देंगे।

इस्राएल और हमास के बीचका युद्ध इतिहास में लडे गये अन्य युद्धों की तुलना में पूर्ण रुप से अलग है। इस्राएल की सेना में पूर्ण तालीम प्राप्त और हथियारों से लैस जवान हैं जिनका अपना यूनिफर्म है और टैंक और लडाकु हवाई जहाज हैं। जब कि हमास के पास ऐसा कुछ भी नहीं है। उनके लडाकों के पास कोई यूनिफर्म नहीं है, उनका कोई बैरेक भी नहीं है। आम जनता, स्त्रियों और बच्चों को वे लोग अपनी सुरक्षा कवच के रुपमें उपयोग करते हैं। स्कूल, अस्पताल, मश्जीद, और चर्च को अपने हथियार के भण्डारण के लिये और अपने लडाकों के रह्ने के लिये दुरुपयोग करते हैं।

इस्राएल अपने अदृश्य शत्रु से युद्ध कर रहा है। इस्राएल ऐसे शत्रु से कैसे युद्ध कर सकता है, जिसे वह आम जनता से अलग नहीं कर सके, जो उसी घर में रह्ते हों जिसमें उनकी पत्नी और बच्चे रह्ते हैं? यही कारण् है कि गाजा में बहुत बडी संख्या में आम जन्ता, औरतें और बच्चे मारे गये हैं।

इतिहास में बहुत से देशों ने ऐसा नहीं किया है, फिर भी इस्राएल ने गाजा के बासिन्दों को पहले से चेतावनी दी है कि शहर के लोग दिखाये गये सुरक्षित जगहों पर पह्ले से आश्रय ले लें।

इस्राएल और हमास दोनों के उपर युद्ध अपराध के दोष लगते रहे हैं लेकिन इस बात में कोई शंका नहीं है कि इस्राएल की तुलना में हमास के द्वारा किये गये युद्ध अपराध अतुल्नीय रुप में बहुत अधिक हैं।

गाजा में बसो बास करने वाले अरब लोगों के दुखद कष्ट का एक मात्र कारण शैतान द्वारा प्रेरित ७ अक्टूबर २०२३ के दिन हमास के द्वारा किया गया हत्यारा आक्रमण ही है।

सारांश्

ऐसे लोग जो बाइबल पर विश्वास करते हैं, उनके लिये सभी बातों का एक ही निष्कर्स है। परमेश्वर ने यहूदी जातिको चुना और उन्हें इस्राएल की भूमी दी, जिसमें वह सभी क्षेत्र सम्मिलीत है जिसे आज पश्चिमी तट और गाजा के नाम से जाना जाता है।

उन तीन ह्जार वर्षों से अधिक समय से, जबसे परमेश्वर ने इस्राएलयों के साथ वास्तविक रुप से प्रतिज्ञा की थी, बहुत से देश और उनके शासक परमेश्वर की इच्छा का विरोध किया है ताकि यहूदियों का विनाश कर सकें और उनके देश से बे द्खल कर सकें।

शैतान द्वारा प्रेरीत यहूदियों को नष्ट करने की योजना में हमास का प्रयास सबसे ताजा है।

इन देशों में से अधिकांश देश आज स्वयम विश्व मान चित्र से गायब हो चुके हैं। परन्तु हजारों वर्ष के बाद आज भी इस्राएल गा रहा है, ‘इस्राएल देश जीवीत है।’